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जन की बात जन तक
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मिथिलाक युवतिक प्रसिद्द पाबनि – टुसारी पूजा

मिथिलाक युवतिक प्रसिद्द एक मास धरि चलै बला टुसारी पूजा भेल
सम्पन . ई पूजा मकर संक्रांति स ल के एक महिना धरि चलैत अछि,
ई पूजा कुमारि लड़की सब रामचंद्र भगवन सन बार के आस मे तिन
साल धरि पूजैत अछि, कहल गेल अछि जे जनक दुलारी सीता निक बर
पायब हेतु ई पाबनि केने छलीह , ताहि दिन स ई पूजा चली रहल अछि
, ई पूजा मिथिलांचल मे त होयते अछि , मुदा मिथिलांचल स दूर बंग
प्रदेश मे सेहो अहि तरहक उत्सव देखल गेल, ओना एही पूजा मे असमंजसता
सेहो देखल जायत अछि, किएक त एक टा कहावत छै , जे अघन मॉस बेटी
के बियाह नहि करब , किएक त सीता के बियाह अघन मॉस भेल छलनि आ
सीता के जिनगी मे बहुत कष्ट भेल छनि , अग्नि परीक्षा आ 14 साल
धरि के बनवास सन ब्य्प्दा उठोने छैथ , ते लोक सब ई पूजा नहि करै
छैथ , जे नहि राम सन बर होयत आ नहि एतेक ब्याप्दा झेलई परत .
ओना किछु लोक के मानव छनि जे हमारा भगवान रामचंद्र सनक
पत्निव्रता बर होइथ , ई पूजा गौर पूजन स मिलैत अछि , कियाक त गौर
बियाहल कनिया पुजैत अछि , आ ई कुमारि लड़की पुजैत अछि , ई पूजा
साँझ के समय मे एक महिना धरि पूजल जायत अछि , आ एक महिना बाद
कौआदाक (भोरहरबा) स पाहिले भासायल जायत अछि , अहि मे प्रसाद के
रूप मे पायस बनाओल जायत अछि , टोल -परोसक महिला लोकनि , मिथिलांचलक
रीती -रिवाज अनुशार भगवती गीत , नचारी सब गबैत अछि , मुदा आजुक
अहि कलियुग मे ई पूजा आस्ते -आस्ते विलीन के बात पर अछि , आजुक
नव -लोक एकरा अन्धाबिस्वास बुझैत अछि , किएक त अहि घोर कलियुग मे
नहि त राम सनक बर आ सीता सन के कनिया भेटत , मुदा धन्यबादक
पात्र अछि एखुनका सतयुगी धिया जे एखनो धरि अहि मिथिलांचलक विलीन
होइत रीती -रिवाज के जीवंत रखने अछि ।

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